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हिंदी कहानियां - भाग 165

पेड़ों को बचाओ


पेड़ों को बचाओ   मीना, उसके दोस्त बगीचे में खेलने जाते हैं। वहां पर उन्हे पेड़ की कुछ टहनियां टूटी हुयी मिलती हैं। मीना कहती है कि इस तरह तो पेड़ों की टहनियां कम होती जायेंगी,.....तो चिड़ियाँ अपना घोंसला कहाँ पर बनायेंगी?    उनमे से एक बच्चा कहता है कि रमेश चाचा लकड़ियाँ काट कर ले गयें हैं.....मीना कहती है की उन्हें रोका क्यों नहीं?   रमेश चाचा कहते हैं कि मैं बूढ़ा होने के कारण जंगल नहीं जा सकता। ......आप लोग तो जंगल में जाकर भी खेल सकते हो।   ........फिर सभी बच्चे समस्या का हल ढूँढने का प्रयास करते हैं। मीना कहती है कि समस्या चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हो उसे सोच समझकर हल किया जा सकता है।   ....कोई कहता है कि बाड लगवा दो....तो कहता है कि चौकीदार लगा दो। सुनील कहता है कि बड़े-बूढों को अगर लकड़ियाँ लाकर दे दें तो.....हम शाम को खेलने जाते हैं, अगर जंगल में नीचे गिरी हुई लकड़ियाँ लाकर दे दें तो समस्या हल हो सकती है।   सभी बच्चे इस बात से सहमत हो जाते हैं।

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